ताजमहल को ताज की संज्ञा देना ही मूर्खता पूर्ण है, जब सारे साक्ष्य सामने साफ दिख रहे है तो ताजमहल कैसे कोई कह सकता है, शाहजहां की बीवी ममताज के लिए महल उसके मृत्यु से पहले मौजूद था, शाहजहां विलासिता में लिप्त वाला शासक था जो अपने सारे धन को ऐसे बर्बाद नहीं कर सकता था, जबकि उसकी और बेगमें थी तो वो भला क्यों पहले से शादीशुदा बच्चे वाली महिला के लिए पैसे क्यों फ़िजूल जाया करेगा।
100 साक्ष्य की ताजमहल भगवान शिव का मंदिर तेजो महल था
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