शिवाजी से सीखा, 60 साल तक मुगलों को हराते रहे: यमुना से नर्मदा, चंबल से टोंस तक औरंगज़ेब से आज़ादी दिलाने वाले बुंदेले की कहानी
महाराजा छत्रसाल ने 1671 में मात्र 22 वर्ष की उम्र में विशाल और क्रूर मुग़ल साम्राज्य के खिलाफ स्वतंत्रता का बिगुल फूँक दिया। उस समय उनके पास मात्र 5 घुड़सवारों और 25 तलवारबाजों की सेना थी। लेकिन, उनकी वीरता और साहस का प्रभाव था कि ये संख्या बढ़ती चली गई और अगले एक दशक में पूर्व में चित्रकूट, छत्तरपुर व पन्ना और पश्चिम में ग्वालियर तक उनका शासन हो गया। उत्तर में कालपी से लेकर दक्षिण में सागर, घरकोटा, शाहगढ़ और दमोह तक उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
स्रोत एवं साभार:ऑप इंडिया
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