दुष्यंत कुमार जी की मशहूर कविता :- ********************* तुम्हारे पांव के नीचे कोई ज़मीन नहीं। कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं । मैं बेपनाह अंधेरों को सुब्ह कैसे कहूं। मैं इन नज़ारों का अंधा तमाशबीन नहीं । तेरी ज़ुबान है झूठी ज्म्हूरियत की तरह। तू एक ज़लील-सी गाली से बेहतरीन नहीं । तुम्हीं से प्यार जतायें तुम्हीं को खा जाएं। अदीब यों तो सियासी हैं पर कमीन नहीं । तुझे क़सम है ख़ुदी को बहुत हलाक न कर। तु इस मशीन का पुर्ज़ा है तू मशीन नहीं । बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहां। ये मुल्क देखने लायक़ तो है हसीन नहीं । ज़रा-सा तौर-तरीक़ों में हेर-फेर करो। तुम्हारे हाथ में कालर हो, आस्तीन नहीं। साभार: कविता कोश
Disclaimer: यह ब्लॉग किसी व्यक्ति या धर्म की भावनाओं को आहत करने का उद्देश्य नहीं रखता | समाज में फ़ैल रहे षड्यंत्र एवं कट्टरता के ख़िलाफ़ जनजागरण एक मात्र उद्देश्य है | ताकि लोगों तक सच्चाई को पहुंचाया जा सके |
अपनी अमूल्य राय यहाँ पर दे!